साधो, यही घड़ी यही बेला,
साधो, यही घड़ी यही बेला॥
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे,
मानुष जन्म दुहेला॥
साधो, यही घड़ी यही बेला॥
ना कोई संग, ना कोई साथी,
जाना हम अकेला॥
साधो, यही घड़ी यही बेला॥
क्यों सोया उठ जाग सवेरा,
काल मार रहा है हेला॥
साधो, यही घड़ी यही बेला॥
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे,
मानुष जन्म दुहेला॥
साधो, यही घड़ी यही बेला॥
कहें कबीर गुरु गुण गाओ,
झूठा है जग मेला॥
साधो, यही घड़ी यही बेला॥
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे,
मानुष जन्म दुहेला॥
साधो, यही घड़ी यही बेला॥