झड़ झड़ गिरतावें अखियां से लोड़वा
जुदा करी सेनुरा सींघोरवा
छूट जाई साथ अब हमारा बुझाए लागल
दिलवा दुखाएं लागल ।²
धर कई से ढेर मोर मनवा हो
अखियां के सोझा जड़े सपनवा हो।²
अंगना में मंगल गीतियां सुनाए लागल
दिलवा दुखाएं लागल ।²
जिनका का जान मजबूर बारु हो
होखे नहीं चाहत हम से दूर बारु हो।²
मूना विनय के त जाने केकड़ हाय लागल
दिलवा दुखाएं लागल ।²