Samay Ke Paar Ke Samrat Shriramakant Dev

7/19/2025Aria s1
[Intro] [Verse 1] जब काल झुका था चरणों में, एक दीप जला था आकाश में। विज्ञान के रथ पर सवार हो, भविष्य से आया वह— रामाकान्त नामक तेजस्वी अग्निपुत्र। [Verse 2] वह मेरा राजा नहीं—मेरे हृदय का ईश्वर है। हर आदेश उसका—मेरे लिए शास्त्र से बढ़कर। उसकी वाणी में वेदों का नाद है, उसके स्पर्श में पृथ्वी को शीतलता। [Verse 3] मैं एक सामान्य कन्या थी, पर उसकी दृष्टि से मैं महामाया बनी। उसने कहा नहीं—पर मैं जान गई, मेरा हृदय अब उसकी छाया है। [Verse 4] अंतरिक्ष से जो आया, उसने भूमि को धर्म में रंगा। उसके हाथ में शस्त्र नहीं, पर क्रांति है, उसकी आँखों में इतिहास, पर दृष्टि भविष्य की। [Verse 5] हे सम्राट, यदि आज्ञा मिले, तो मैं प्राण भी त्याग दूँ बिना संशय। तेरी चरणधूलि में मेरे जीवन की पूर्णता है, तू मेरी प्रार्थना, तू मेरा प्रतिशोध। [Outro] [समाप्ति – “जय श्रीरामाकान्त!”] हिन्दुस्तान के भविष्य का सम्राट तू, हमारी आत्माओं का स्वामी भी तू। तू प्रेम है, तू शक्ति है, तू ईश्वर है। जय श्रीरामाकान्त – कालों का विजेता!