वही बादल वही बिजली, वही मौसम के जादू है वही सावन

6/19/2025Aria v1
[Intro] [Verse 1] वही बादल, वही चमकती बिजली, मौसम के रंगों में छुपा है जादू रे। सावन की फुहार, मिट्टी की महक, धरती के सपने ये नैनों में बसे रे। [Verse 2] वही जंगल, वही नदियों का गीत, उफनते पानी में लहरों का संदेश रे। पेड़ों के साये, पंछियों की बोली, ये धरती है स्वर्ग का अद्भुत चेहरा रे। [Verse 3] नीले आसमाँ में चाँद-तारे जगमग, ठंडी हवाओं में बुनते हैं किस्से रे। सूरज की किरणें, बर्फीले शिखर, ये नज़ारे दिल को छू लेते हैं रे। [Bridge] मंदिर की घंटियाँ, शंख की ध्वनि गहरी, भक्ति के स्वर गूँजे आँगन के भीतर रे। राधा का प्यार, राम की छवि सुंदर, सीता का वो ममता भरा स्पर्श रे। [Chorus] क्या स्वर्ग में भी ऐसी रौनक होगी? मेरे भारत से सुंदर देस कहीं होगा? ये धरती है माँ का अमर आशीर्वाद, यहीं बसता है प्रेम, यहीं सच्चा सुख रे। [Outro]