मैं यूं तुझसे मिला जैसे लिवास है
ओढ़े है मन में जैसे फरियाद है
मुकम्मल तू कर दे मुझ पे निगाहें
बस उस पल का इंतजार है
बेनजीर है वो सारा जहां में
वसी है मेरे दिलो जहन में
बुनने लगा हूं ख्वाब की डोली
सजने लगी है हाथ में मेहंदी
शहनाई मन में गुंजने लगी है
खुली है आंखे पर सोया हुआ हूं
ख्वाबों की बंदीसो में खोया हुआ हूं
जन्नतो की सैर पर साजे सजी है
सजी है सारी दिल की अरमान
अरमानों की रंजिश मथे चढ़ी है
बेचैनी सिरहाने नींद में परी है
न दिन गुजरे ना रात कट रही है
बस ये चार दिन वर्षो लग रही है
मुसाकिल लग रही है बाते बहाने
तेरे सजदे में राखे है माथे टिकाए
बस तु आ जा मेरे पलकों पे छा जा
लेकर सुहाने सपनों की कलियां