छोटा हाथी उछल-उछल के,
कूदे रोज़ मचल-मचल के।
कान हिलाए, पाँव पटकता,
मज़ा उसे बड़ा ही भाता!
बॉइंग बॉइंग ऊपर जाए,
बादल तक वो हाथ बढ़ाए!
घूमे, कूदे, हँस दे जी,
फिर से बोले – "एक और जी!"
बंदर बोला – “मैं भी आऊँ,
थोड़ी जगह मुझे भी पाऊँ।”
जिराफ बोली – “झुक के आई,
ऊँचाई में उछलती जाई!”
बॉइंग बॉइंग ऊपर जाए,
बादल तक वो हाथ बढ़ाए!
घूमे, कूदे, हँस दे जी,
फिर से बोले – "एक और जी!"
शेर दहाड़ा – “अब मेरी बारी!”
कूदा वो भी ज़ोर से भारी।
सब हँसते, गाते साथ,
मस्ती भरी ये प्यारी बात!
बॉइंग बॉइंग ऊपर जाए,
बादल तक वो हाथ बढ़ाए!
घूमे, कूदे, हँस दे जी,
फिर से बोले – "एक और जी!"
सूरज ढला, अब शाम है आई,
थक के सबने नींद ली भाई।
हाथी बोला – "कल फिर आएंगे,
दोस्तों संग फिर कूद लगाएंगे!"