ज़िंदगी, बता दे क्यों इतनी ख़ामोश है?
हर ख़ुशी के पीछे भी ये आंसुओं का जोश है,
मैंने चाहा था बस थोड़ा सुकून पाना,
पर तन्हाई ने दिल को फिर से है जलाना।
(Pre-Chorus)
अपने ही पराए से लगते हैं आजकल,
हर चेहरा यहाँ बन गया है कोई नक़ल,
मैंने चाहा था दिल से वफ़ा निभाना,
पर दुनिया ने मुझे सिखाया है बेगाना।
(Chorus)
ज़िंदगी, बता दे क्यों तू सज़ा देती है?
हर सांस को तकलीफ़ में क्यों बदलती है?
ज़िंदगी, बता दे क्यों तू ख़फ़ा रहती है?
मेरे जज़्बातों को क्यों तन्हा करती है?
(Verse 2)
रिश्तों का मोल अब पैसों से तौला जाता है,
दिल की सच्चाई यहाँ झूठ से दबाया जाता है,
मैंने चाहा था बस थोड़ा सा अपना मिल जाए,
पर हर कोई मुफ़्त का सपना बेचने आता है।
(Bridge)
सपनों का सहारा भी टूट गया है,
दिल का भरोसा भी लूट गया है,
किससे पूछूँ मैं जीने का सबब,
जब हर रास्ता मेरे लिए रुक गया है।
(Chorus – Repeat)
ज़िंदगी, बता दे क्यों तू सज़ा देती है?
हर सांस को तकलीफ़ में क्यों बदलती है?
ज़िंदगी, बता दे क्यों तू ख़फ़ा रहती है?
मेरे जज़्बातों को क्यों तन्हा करती है?
(Outro)
कभी तो मुस्कुराकर तू जवाब दे दे,
मेरे सवालों का तू हिसाब दे दे,
ज़िंदगी, बता दे तू मेरा गुनाह क्या है?
साँसें ही तो ले रहा हूँ… ये भी सज़ा है।