[Verse 1]
चाँदनी भी अब तनहाई सी लगती है,
ख़ुशी की कोई परछाई नहीं मिलती है।
हर रास्ता मुझे वीराना लगता है,
जैसे मेरा नाम भी अब मेरा नहीं लगता है।
[Chorus]
ज़िंदगी से शिकवा है, पर फिर भी साथ है,
टूटी हुई साँसों में छुपा कुछ जज़्बात है।
रोता हूँ जब कोई देखता नहीं,
तेरे बिना ये दिल अब ठीक से धड़कता नहीं।
[Verse 2]
दोस्त भी अब अजनबी से लगते हैं,
हँसते हैं सब, पर दर्द नहीं समझते हैं।
आईनों में भी अब चेहरा ग़ायब है,
जैसे जीना मेरा बस एक आदत है।
[Bridge]
कभी तो कोई समझेगा ये दिल की बात,
कभी तो लौटेगी वो खोई हुई रात।
उम्मीद की एक लौ जलती कहीं है,
शायद मेरी भी सुबह बनती यहीं है।
[Outro]
ज़िंदगी से शिकवा है, मगर उम्मीद भी है,
इस अंधेरे सफ़र में कहीं एक नई रौशनी भी है।