मास्टरमाइंड का साया

9/19/2025Aria s1
[Intro] [Verse 1] ये दिमाग का जाल, बुनता नक्शे बेमिसाल, रातों की स्याही में लिखता मैं अपना ख़्वाबों का काल। चेहरे पे मुखौटा, अंदर है आग का तूफ़ान, हर कदम पे बिछाता फंदे, बन जाता शैतान। सियासत की चाल, इरादे ठंडे बर्फ़ जैसे, जिस्म तो यहाँ, पर दिमाग उड़ता आसमाँ वैसे। काटूँ तुम्हारी रगों में ज़हर, बनूँ तुम्हारा साया, मास्टरमाइंड की छाप, ये खेल है बिना दरम्याँ। [Chorus] गहरी छाँव में खो गया, ये अंधेरा मेरा साथी, दर्द की रूहानियत, ये ताकत मेरी हथियार। जलता दिल, पर दिमाग ठंडा, ये जंग है अनकही, मैं बना अपनी मौत का खुदा, ये साया है मेरी रूह की। [Verse 2] तुम समझोगे तो हारोगे, ये खेल है दो पल का, जिस्मानी नहीं, ये जंग है रूह के अंदर तक का। सत्ता का भूखा, पर राज़ छुपाए अकेलापन में, टूटे शीशे की तरह चमकता हूँ खंडहर के मैदान में। हर सांस पे लिखी है साज़िश, हर लफ्ज़ में छुपी बंदूक, मैं वो जुनून जो बुझे ना, चाहे जल जाए दुनिया। [Chorus] गहरी छाँव में खो गया, ये अंधेरा मेरा साथी, दर्द की रूहानियत, ये ताकत मेरी हथियार। जलता दिल, पर दिमाग ठंडा, ये जंग है अनकही, मैं बना अपनी मौत का खुदा, ये साया है मेरी रूह की। [Bridge] अकेलेपन की दीवारें, गूँजती हैं खामोश चीखें, हर जीत के पीछे छुपा है एक बेनाम सिसकी। रक्त की लकीरें, यादों के ज़ख्म गहरे, मास्टरमाइंड का साया, पर अंदर है बचपन अधूरा। [Final Chorus] गहरी छाँव में खो गया, ये अंधेरा मेरा साथी, दर्द की रूहानियत, ये ताकत मेरी हथियार। जलता दिल, पर दिमाग ठंडा, ये जंग है अनकही, मैं बना अपनी मौत का खुदा, ये साया है मेरी रूह की। [Outro]