ये कहानी है उस जज़्बे की,
जो मिट्टी से उठकर,
दुनिया के मंच तक पहुँच गया...
नाम है – इज़्ज़त और रुतबा
गाँव की गलियों से उठी थी आवाज़,
सपनों की किताब में लिखे थे राज़,
काँधे पे मेहनत, सीने में जिगर,
हर दिन लड़ाई, हर रात सफर
दिल में आग, आँखों में शेर की चाल,
दोस्ती अपनी – तुफ़ान सी मिसाल,
बुलेट की रफ़्तार, गानों का शोर,
जट्ट सा अंदाज़ – दमदार और जोर
माँ की दुआएँ, मेरी ढाल बनी,
मुश्किलों से लड़कर ये जीत बनी,
झूठ के बाज़ार में सच की कीमत,
मेरे नाम पे बजती है हर इक सीरत
दिल में आग, आँखों में शेर की चाल,
दोस्ती अपनी – तुफ़ान सी मिसाल,
बुलेट की रफ़्तार, गानों का शोर,
जट्ट सा अंदाज़ – दमदार और जोर
दुश्मन भी डरते, नज़रों से गिरते,
सच्चाई के आगे सब सर झुकते,
यारों का साथ हो, हौसला बुलंद,
ये मेरी पहचान – ना झुका, ना बंद
ये सफ़र चलता रहेगा,
नाम गूंजेगा सदियों तक…
क्योंकि असली शेर वही,
जो जंगल छोड़कर भी जंगल बनाता है